बुधवार, 30 मई 2012

jisse sansari jivo ki pahchan ho indriya kahlati hai. - muni pulak sagar

जिससे संसारी जीवो की पहचान हो इन्द्रिय कहलाती है-मुनि पुलकसागर कृश्णानगर मे आचार्य संमतिसागर जी से मिले मुनिश्री 23 मई 2012 जिससे संसारी जीवो की पहचान होती है उसे इन्द्र्रिय कहते है। इन्द्रिय पांच होती है। स्पर्षन इन्द्रिय,रसना इन्द्रिय, घ्राण इन्द्रिय, चक्षु इन्द्रिय और कर्ण इन्द्रिय। उक्त विचार राश्ट मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज ने आज बुधवार को मां जिनवाणी षिेिवर के पांचवे दिन षिविरार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने षिविरार्थियों को इन्द्रियों की व्याख्या करते हुए कहा कि हल्का भारी, ठंडा गरम,कडा नरम,,रूखा चिकना आदि का ज्ञान होता है उसे स्पर्षन इन्द्रिय कहते है और जिससे खट्टा मीठा,कड़वा,कशायला,चरपरा आदि का ज्ञान हो उसे रसना इन्द्रिय कहते है। मुनिश्री ने घ्राण इन्द्रिय की परिभाशा को समझाते हुए कहा कि जिससे सुगंध एवं दुर्गंध का ज्ञान होता है उसे घ्राण इन्द्रिय कहते है तथा जिससे काला,नीला,लाल,हरा, सफेद आदि रंगो का ज्ञान होता है उसे चक्षु इन्द्रिय कहते है। सा, रे, गा, मा, प, ध, नि आदि स्वरो का ज्ञान कर्ण इन्द्रिय से होता है। मुनिश्री ने कहा कि मनुश्य पंचइन्द्रिय जीव है। पंचइन्द्रिय जीव दो प्रकार के होते है सैनाी और असैनी। जो जीव मन सहित होते है वे सैनी और मन से रहित होते है वे असैनी जीव कहलाते है।
संत मिलनः- कहते है संतो के दर्षन मात्र से पापो का नाष होता है आज ऐसा ही सौभाग्य कृश्णानगर जैन समाज को मिला जब आचार्य श्री संमतिसागर जी महाराज एवं मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज का मिलन हुआ। आज प्रातःकाल 6 बजे मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज अपने अनुज मुनिश्री प्रसंगसागर जी महाराज के साथ कृश्णानगर जैन मंदिर पहुंचे जहां पहले से विराजमान आचार्य रत्न संमतिसागर जी महाराज के दर्षन कर तत्त्व चर्चा की। मुनिश्री ने जैसे ही आचार्य श्री के चरणों मे नमोस्तु निवेदित किया तो उन्होंने विनय भाव का परिचय देते हुए मुनिश्री को गले से लगा लिया। मां जिनवाणी संग्रहालयः- संघस्थ प्रवक्ता विनय कुमार जैन ने बताया कि मुनिश्री के पावन आषीर्वाद एवं सद्प्रेरणा से पुलक जन चेतना मंच दिल्ली षाखा की ओर से विहारी कॉलोनी स्थित वात्सल्य भवन मे एक विषाल जिनवाणी संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है,जिसमे जिनागम की करीब 5000 षास्त्रो का संग्रह किया जाएगा। इस कार्य का षुभारंभ षंकरनगर से ही मां जिनवाणी के जन्म दिवस अर्थात श्रुत पंचमी से किया जा रहा है।

1 टिप्पणी:

  1. जय जिंनेंद्र मुझे गुरदेव पर प्रश्न उत्तर चाहिये थे आप बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हो ।शाखा जयपुर शहर से

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