बुधवार, 30 मई 2012

dev sastra guru par viswas kro- muni pulaksagar

षंकरनगर मे गूॅज रही है जिनवाणी ‘पुलकवाणी’ मे 18 मई 2012 षुक्रवार की सुबह का वह वक्त आ ही गया जिसका बेसर्बी से षंकरनगर जैन समाज इंतजार कर रही थी यह अवसर था राश्टसंत मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज के पावन सानिध्य मे आयोजित आठ दिवसीय मां जिनवाणी षिक्षण षिविर के षुभारंभ का।
कार्यक्रम का षुभारंभ श्रीमति सुधा कृश्णा जैन षंकरनगर ने षिविर का उद्घाटन फीता काटकर किया तत्तपष्चात मां जिनवाणी के समक्ष मंगल कलष की स्थापना एवं दीपप्रवज्ज्लन अतिथियों के द्वारा किया गया। आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथी दिल्ली सरकार के षिक्षा मंत्री लबली सिंह थे। उन्होंने इस अवसर पर मुनिश्री को श्रीफल भेटकर आषीर्वाद प्राप्त किया। षिविर के पहले दिन को परिचय का दिवस बताते हुए मुनिश्री ने कहा कि आज षिविर का पहला दिवस है,आज केवल आपको आपके कोर्स के बारे मे बताया जाएगा। मुनिश्री ने जैन धर्मालंबियों के देव,षास्त्र और गुरू के बारे मे अपने कर्त्तव्य के बारे मे विस्तार पूर्वक षिविरार्थियो को समझाया। उन्होंने बताया कि जैन षब्द की परिभाशा बताते हुए कहा कि जो भगवान जिनेन्द्र को मानता हो और उनके बताये गये मार्ग का अनुषरण करे वह जैन होता है। मुनिश्री ने धर्म का पालन की तुलना परीक्षा से करते हुए कहा कि आज लोग धर्म कर्म तो करते है लेकिन उन्हें पता नहीं कि हमे धर्म किस प्रकार करना चाहिए। उन्होंने उदाहरण के द्वारा षिविरार्थियों को समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार हम परीक्षा मे पेपर मे कुछ नहीं लिखेगे,प्रष्नो के उत्तर क्रम मे नहीं देगे या उत्तर गलत लिखेगे तो नम्बर षून्य प्राप्त होगे उसी प्रकार हम धर्म को नहीं करेंगे,उल्टा सीधा करेगे या गलत तरीके से करेगे तो पुण्य नहीं मिलेगा। मुनिश्री ने जोर देते हुए कहा कि जीवन मे कुछ भी कार्य करो उन्हे सही करो,व्यवस्थित करो एवं पूरा करो तो सफलता अवष्य मिलेगी। विनय कुमार जैन 9910938969

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