गुरुवार, 10 मई 2012

वीतरागता मे ही सच्चा सुख- muni pulak sagar

वीतरागता मे ही सच्चा सुख-मुनि पुलकसागर अनुषासन की मिषाल बना मां जिनवाणी षिक्षण षिविर
दिल्ली 10 मई 2012 आत्मा के दो गुण होते है स्वभाव गुण व विभाव गुण । ऐसे परिणाम जो पर द्रव्य के निमित्त से होते है वह विभाव गुण होते है जैसे सुख दुख,राग द्वेश,लोभ, मान,माया लोभ खाना पीना आदि विभाव गुण के उदाहरण है और जो स्व निमित्त से होते है अर्थात पर द्रव्य के निमित्त से नहीं होते है स्वभाव गुण कहलाते है जैसे क्षमा,वीतरागता आदि। उक्त प्रेरक उद्बोधन राश्टसंत मुनिश्री पुलक सागर जी महाराज ने भोलानाथ षाहदरा मे आयोजित मां जिनवाणी षिक्षिण षिविर मे षिविरार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने षिविर्थियों को विभाव व स्वभाव गुण को समझाते हुए कहा कि पानी मे षीलता उसका स्वाभाविक गुण है और उश्णता विभाव गुण है क्योकि पानी मे उश्णता आग के निमित्त से आती है। वैसे ही क्रोध आदि कशाय परिणाम दूसरो के निमित्त से होता है और क्षमा आदि अच्दे परिणाम अपने निमित्त से होते हैै।
मुनिश्री ने राग,द्वेश,मोह की परिभाशा बताते हुए कहा कि अच्छा लगना राग है, बुरा लगना द्वेश है और अपना मानने का भाव मोह है। ये तीनो ही आत्मा को दुख देने वाले है। राग द्वेश,मोह का नहीं होना ही वीतरागता है। वीतरागता आत्मा को षाष्वत सुख देने वाली मोक्ष देने वाली होती है।
मुनिश्री प्रसंगसागर जी ने किए केषलोच- संघस्थ प्रवक्ता विनय कुमार जैन ने बताया कि मां जिनवाणी षिक्षण षिविर की चहूं ओर प्रषंसा- राश्टसंत मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज के अनुज गुरू भाई संघस्थ मुनिश्री प्रसंगसागर जी महाराज ने आज प्रातः 6 बजे केषलोच किए। इस अवसर पर भोलानाथ दिगम्बर जैन समाज के श्रद्धालूजन बड़ी संख्या मे उपस्थित थे। ज्ञात हो कि दिगम्बर जैन मुनि चार माह के अंतराल पर केषलोच किया करते है। राश्टसंत मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज के पावन सानिध्य मे जितने भी पंचकल्याण, प्रवचन मालाएं या षिक्षण षिविरो का आयोजन किया जाता है उन सबमे अनुषासन व वक्त का विषेश ख्याल रखा जाता है। भोलानाथ नगर षाहदरा मे आयोजित मां जिनवाणी षिक्षण षिविर मे भी अनुषासन व वक्त की पाबंदी की मिषाल देखने को मिल रही है। प्रातः काल 7 बजे से षिविरार्थी पूजन के लिए एकत्रित होते है। मुनिश्री की कक्षा ठीक 8ः30 से प्रारंभ होती है और 9ः30 पर समाप्त हो जाती है।

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