शुक्रवार, 4 मई 2012

इंसान चलना भूल गया- muni pulaksagar

दिल्ली 4 मई 2012 तमाम उंचे दरख्तो से बचकर चलता हॅू, मुझे पता है कि छाया इनके पास नहीं, गरीब की झोपड़ी मे सर छुपा सकते हो, अमीरों का तो कोई लिबास नहीं। आज बंगले उंचे लेकिन आदमी बोना हो गया है, किसी गरीब के घर मे पीने को एक गिलास पानी मिल सकता है लेकिन अमीर के पास मिल जाए इसकी गारंटी नहीं। उक्त विचार राश्टसंत मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज ने आज भोलानाथ नगर षाहदरा स्थित सामुदायिक भवन मे आयोजित ज्ञान गंगा महोत्सव के तीसरे दिन श्रावकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने धर्म को संबोधित करते हुए आगे कहा कि अगर आप गरीब है तो मै सुखी होना एक मंत्र देता हॅू आज से तुम अपने से गरीब आदमी को देखकर जीना षुरू कर दो और अमीरों को देखकर जीना छोड़ दो। तुम्हारा जीवन सुखमय हो जाएगा।
गर्दन मे लचक पड़ जाएगीः- निगाहे नीची रखकर चलने का संदेष देते हुए मुनिश्री ने कहा कि आज के आदमी को न जाने क्या हो गया है वह चलता तो जमीन पर लेकिन देखता आसमान में है। नजरे झुकाकर चलोगे तो जमीन पर पड़ी हुई अनमोल वस्तु भी मिल सकती है लेकिन नजरे उठाकर चलोगे तो ठोकर लग सकती है जिससे तुम जख्मी हो सकते हो। ज्यादा उपर देखकर जिओगे तो केवल गर्दन मे दर्द हो गया मिलेगा कुछ भी नहीं। मेरे भाई पक्षी भी आसमान मे उड़ता है तो निगाहे धरती पर ही जमा कर उड़ता है। जमीन से जुड़कर जिओः- मुनिश्री ने कहा कि आज के विज्ञान ने लोगो को पक्षिओं की तरह हवा मे उड़ना सिखा दिया,मछलियों की तरह पानी मे तैरना सिखा दिया लेकिन दुख तो इस बात का है कि आज आदमी जमीन पर चलना भूल गया हैं। व्यक्ति का जमीन से सबंध टूट गया है। जमीन से जुड़कर जीना विज्ञान नहीं सिखाएगा इसे सीखने के लिए तो हमे भगवान महावीर की षरण मे आना पड़ेगा। धर्म की षरण मे आना पड़ेगा धर्म की जमीन से जुड़कर चलना सिखाता है। अकड़ मुर्दे की पहचान हैः- अकड़ को मुर्दे की पहचान बताते हुए मुनिश्री ने कहा कि झुकेगा वही जिसमें जान है,अकड़ मुर्दे की खास पहचान है। षीष झुकाओगे तो आषीश मिलेगा। नजरे झुकाकर जिओगे तो दुनिया तुम्हें पलको पर बिठा लेगी और नजरो को उठाकर जिओगे तो यही दुनिया तुम्हें नीचा दिखा देगी। अहंकार से बचने एवं झुकने के फायदे बताते हुए कहा कि जिस प्रकार नदी किनारे लगे छोटे पौधे,बेले बाढ़ के समय झुक जाते है जबकि बड़े पेड़ अकड़ के खड़े रहते है,बाढ़ निकल जाने के बाद बेले फिर से लहलहाने लगती है जबकि पेड जड़ से उखड़ जाया करते है। तुम्हारी औकात क्या हैः- मुनिश्री ने रूपये,पैसो को हाथ का मैल बताते हुए कहा इस धरती पर एक से बढ़कर एक चक्रवर्ती,धनकुबेर आएं लेकिन उनका नाम निषान भी नहीं है फिर तुम किस बात पर अभिमान करते हो। लोग थोड़ा सा रूपया पैसा कमाकर अहंकार के वषीभूत होकर फूले नहीं समाते है लेकिन याद रखना असली दौलत प्रभू की भक्ति है। विनय कुमार जैन मो 9910938969

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