बुधवार, 18 अप्रैल 2012

karmo ka fal..

कर्मो का फल सभी को भोगना पडता है- मुनि पुलकसागर भोलानाथनगर षाहदरा जैन समाज ने चातुर्मास हेतु मुनिश्री को श्रीफल भेट किया हमे इंसान होने का अहसास होना चाहिए,केवल
सांसो के दम पर जीवन नहीं होता है,सांसो की दम पर तो कोमा मे पडा आदमी भी जी लिया करता है लेकिन उसे जिंदगी का कोई अहसास नहीं होता है। जिंदगी मौत की अमानत है और एक दिन मौत अपनी अमानत ले जाएगी इसलिए जीना है तो होष पूर्वक जीओ। उक्त विचार राश्टसंत मुनि पुलकसागर जी महाराज ने बिहारी कॉलोनी स्थित अभिमन्यू पार्क मे आयोजित ज्ञान गंगा महोत्सव के छठवे दिन षनिवार को अथाह जनसमुदाय को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। ज्ञात हो कि पूज्य मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज एवं मुनिश्री प्रसंगसागर जी महाराज का बिहारी कालोनी आगमन पंचकल्याणक प्रतिश्ठा महोत्सव के निमित्त हुआ है। बिहारी कॉलोनी षाहदरा मे पूज्य मुनिद्वय के सानिध्य मे पंचकल्याणक प्रतिश्ठा महोत्सव 6 अप्रेल 2012 से 11 अप्रेल तक आयोजित किया जाएगा। सुबह उठने की आदत डालोः- उन्होंने आगे धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रह्म मुहूर्त मे उठ जाना चाहिए क्योकि सुबह के वक्त दिमाग मे कोई तनाव नहीं होता है और पढ़ने वाले विद्यार्थीयों को यही सलाह दूंगा कि सुबह के वक्त पढ़ाई करोगे तो जल्दी याद होगा क्योकि सुबह के वक्त दिमाग बोझिल नहीं होता है। ऐसा कोई भी धर्म नहीं है जिसमे सुबह के वक्त प्रार्थना के वक्त ना कहा गया हो। इस्लाम मे अजान,गिरिजाघर मे प्रार्थना,मंदिर मे आरती एवं जिनालय मे अभिशेक पाठ के स्वर गुंजायमान होने लगते है। कर्म का लेख मिटे नहीं भाई रेः- जिंदगी मे माता पिता,गुरू और भगवान से डरो या न डरो लेकिन अपने कर्मो से जरूर डरना क्योकि कर्म किसी को भी नहीं छोडते,सभी को अपने कर्माे का फल भोगना पडता है। ऐसा कौन है जिसे कर्मो का फल न भोगना पडा हो। आम आदमी की बात क्या कहे राम,कृश्ण,बुद्ध महावीर सभी को कर्मो का फल भोगना पड़ता है। सब ने कर्मो का फल भोगा है। जो करोग वही फल मिलेगा। कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे नहीं भाई। जरा समझो इसकी सच्चाई रे..कर्म का लेख मिटे न भाई। इस दुंनिया मे कर्म के आगे चले न किसी का उपाय कागज हो तो हर कोई वांचे,कर्म न वांचा जाएं। चाहे हो राजा या चाहे भिखारी ठोकरे सभी ने यहां खाई रे कर्म का लेख मिटे न रे भाई...... ध्यान रखिएं कर्मो का लिखा कभी मिटता नहीं है। याद रखना जब तुम इस धरती से जाओगे तो तुम्हारे साथ कुछ नहीं जाएगा। सब यही पडा का पडा रह जाएगा। केवल कर्म उसके साथ जाएंगे। मुनिश्री ने दान का महत्व बताते हुए कहा कि जितना दान दोगे उससे दस गुना लौटकर वापिस आएगा। रावण और भरत चक्रवती दोनो के पास स्वर्ण था। रावण अपने स्वर्ण से सोने की लंका बना लिया करता है जबकि चक्रवर्ती भरत सोने के 72 जिनालयो का निर्माण करते है। जिस रावण के एक लाख पूत और सवा लाख नाती थे आज उसके खानदान मे उसकी ही मजार पर कोई दिया जलाने वाला नहीं है। चातुर्मास हेतु श्रीफल भेट किएः- संघस्थ प्रवक्ता विनय कुमार जैन ने बताया कि राश्टसंत मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज एवं मुनिश्री प्रसंगसागर जी महाराज के आगामी चातुर्मास के लिए भोलानाथ नगर जैन समाज की ओर से श्रीफल भेटकर निवेदन किया गया। ज्ञात हो कि 12 वर्श पष्चात मुनिश्री के भोलानाथ नगर मे दो चातुर्मास हो चुके है।

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