गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

कर्मो का फल जरूर भोगना पड़ता है- muni pulak sagar

मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज ऋशभ विहार मे मुनिश्री कॉलोनी कॉलोनी मे जाकर बहा रहे है आध्यात्म की गंगा
दिल्ली 26 अप्रैल 2012 राश्टसंत मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज एवं मुनिश्री प्रसंगसागर जी महाराज का आज ऋशभविहार मे भव्य आगमन हुआ यहां पर इनका दो दिवसीय प्रवास है। सकल जैन समाज के श्रद्धालुओं ने मुनिद्वय की आरती एवं पादप्रक्षालन कर आषीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर मुनिश्री ने धर्मसभा को संबोधित किया। मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पागलखाने मे एक पागल व्यक्ति पत्र लिख रहा था उससे किसी ने पूछा कि भाई पत्र मे क्या लिख रहे हो,उसने कहा पता नहीं। पागल ने कहा कि मै अभी पत्र लिख रहा हॅू फिर से लिफापे मे बंद करके लेटर बॉक्स मे अपने ही पते पर डालूॅगा फिर जब यह लेटर मेरे ही पास आएगा तब पढूंगा कि इसमे क्या लिखा है। मान्यवर तुम भी तो यही कर रहे हो,सुबह से षाम तक कर्मो का पत्र लिखते रहते हो, तुम्हें पता ही नहीं चलता कि तुम किस प्रकार के कर्म कर रहे हो,तुम्हें तो पता जब चलता है जब कर्माे का फल तुम्हारे सामने आता है। याद रखना जीवन मे कुछ मिले ना मिले लेकिन कर्मो का फल जरूर भोगना पड़ता है। मुनिश्री का मानना है कि आज जैन समाज के श्रद्धालूगण अपनी पहचान भूलते जा रहे है,वे धर्म व संस्कृति से दूर हो रहे है। याद रखना वह संस्कृति व धर्म ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहते जिसके मानने वाले लोग उसे भूलने लगते है। मुनिश्री ने ही अपने इस बार के दिल्ली प्रवास मे यहां के श्रद्धालुओं को जैन धर्म एवं आगम की सुगम व सरल व्याख्या करके लोगो को सत्पथ पर लाने का प्रयास कर रहे है। मुनिश्री अभी जिस भी कॉलोनी मे प्रवास करते है वहां पर आगम पर ही प्रवचन व व्याख्न हो रहे है,हजारो की संख्या मे लोग उमड़े चले आते है। साथ ही दोपहर मे तीन बजे से मूलाचार की कक्षा भी चल रही है जिसमे सैकडो लोग प्रतिदिन उपस्थित हो रहे है।

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