रविवार, 24 जून 2012

sant hi samaj ko akta me bandh sakta hai- muni pulaksagar


संत ही समाज को एकता के सूत्र मे बांध सकते है- मुनि पुलकसागर न्यू राजेन्द्र नगर में हुआ दिगम्बर एवं ष्वेताम्बर संतो का मिलन 21 जून 2012 भगवान ना मंदिर मे मिलता है ना मस्जिद मे मिलता है, भगवान को बाहर खोजने की आवष्यकता नहीं है वह तो तुम्हारे अंतस मे ही विराजमान है, बस जरूरत है अपने अंतस मे झांकने की और भगवान तुम्हें मिल जाएगा। उक्त विचार राश्टसंत मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज ने न्यू राजेन्द्रनगर स्थित जैन मंदिर मे श्रावको को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर ष्वेताम्बर जैनाचार्य डॉ लोकेष मुनि जी एवं आचार्य सुषीलकुमार जी महाराज साब के सुषिश्य विवेक मुनि जी एवं सिद्धेष्वर मुनिजी भी एक मंच पर उपस्थित थे। मुिनश्री पुलकसागर जी महाराज ने धर्मसभा को आगे संबोधित करते हुए कहा कि जहां तक मै समझता हॅू कि भगवान महावीर अपने जीवन मे किसी भी मंदिर मे नहीं गए होगे उन्होंने तो अपने मन को मंदिर बनाने का प्रयास किया और जो अपने मन को मंदिर बना लेता है सारी दुनिया उसके मंदिर बनाने लग जाती है। आओ अपने मन को ही मंदिर बनाने का प्रयास करे। मुनिश्री ने संतो को समाज का सर्वोसर्वा बताते हुए कहा कि समाज को तोड़ने वाला कौन है, नीचे जो आप लोगे बैठे हो या उपर मंच पर जो संतगण बैठे है। यह बड़ा अकाट्य सत्य है कि समाज को टुकड़ो मे बांटने वाले संत ही है, बेझक इसे स्वीकार करना पडेगा। दिगम्बर, ष्वेताम्बर, तेरह पंथी, बीस पंथी, स्थानकवासी किसने बनाएं । बेषक यह संतो की ही देन है। याद रखना उपर का बटन अगर गलत होता है तो नीचे की बटन अपने गलत लगते है लेकिन उपर का वटन सही होता है तो अपने आप ही सारे बटन सही हो जाया करते है। अगर आज हम संत एक तख्त पर एक साथ बैठे है तो उसका यह परिणाम है कि सारा समाज एक जाजम पर आकर बैठ गया है अगर हम यहां एक साथ नहीं बैठेगे तो समाज भी एक साथ बैठने को राजी नहीं होगी। मुनिश्री ने कहा कि हमारे बुजुर्गो, हमारे पूर्वजों ने गलती की है, हम एक भगवान, एक धर्म के उपासक आज चार टुकड़ो मे बंट गये। संतो की परम्परा की के कारण समाज टूट गई है। जब संतो के कारण समाज टूटी है तो अब संतो का यह जिम्मा है कि वह समाज को एकता के सूत्र मे बांधे। याद रखना जो काटना जानता है वह जोड़ना भी जानता है। जिसने टुकडे किए है समाज के उन्हें ही एक करना पड़ेगा। मुनिश्री ने कहा कि समाज को एकता के सूत्र मे बंधने की जरूरत नहीं है हम संतो को एक होने की जरूरत है समाज तो खुद व खुद एकता के सूत्र मे बंध जाएगी। आज मुझे बहुत खुषी हुई की एक मंच पर ष्वेताम्बर संत एवं दिगम्बर संत एक साथ बैठे। मुनिश्री के संघस्थ प्रवक्ता विनय कुमार जैन ने बताया कि पूज्य गुरूदेव मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज के प्रवचन के पहले भी विवेक मुनि जी महाराज साब ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज का इस आश्रम पधारना बहुत ही सौभाग्य की बात है और इससे सामाजिक एकता को बल मिलेगा। इस अवसर पर डॉ लोकेष मुनि जी ने अपने उद्गारो सामाजिक एकता व अखण्डता पर बल दिया। मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज का 21 एवं 22 जून को न्यू राजेन्द्र नगर मे प्रवास रहेगा तत्पष्चात मुनिश्री 23 जून को लालमंदिर मे एक दिवसीय प्रवास रहेगा। 24 जून से 30 जून तक कैलाषनगर गली नं. 12 मे प्रवास रहेगा। मुनिश्री भोलानाथ नगर मे चातुर्मास हेतु 1 जुलाई को प्रवेष करेगे। 8 जुलाई को चातुर्मास मंगल कलष की स्थापना दोपहर 1 बजे से नेपाल ग्राउण्ड कड़कडडूमा कोर्ट के पास होगी। विनय कुमार जैन फोटो कैप्षन- बांए से सिद्धेष्वर मुनि जी, डॉ लोकेष मुनिश्री, विवेक मुनिजी, राश्टसत मुनिश्री पुलकसागर जी गुरूदेव, मुनिश्री प्रसंगसागर जी महाराज

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