अधमरी समाज पूरी तरह से मर जाए या जिंदा हो जाये- मुनि पुलकसागर
कुछ काम करके जाना दुनिया मे आने वाले
जाते है लाखो लोग बेकार खाने वाले।
दिल्ली 8 जून 2012 जो समय एक बार हाथ से निकल जाता है वह दोबारा लौटकर नही आता, एक बार दिन गुजर जाता है या रात बीत जाती है तो वह फिर से वापिस नहीं आती। समय किसी का नौकर नही है बल्कि समय ने सारी दुनिया को अपना नौकर बना रखा है।
उक्त प्रेरक विचार राष्टसंत मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज ने शुक्रवार को नवहिन्द पब्लिक स्कूल के ऑडिटोरिय मे आयोजित तीन दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के द्वितीय दिवस पर श्रावको को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्हांेने धर्मसभा को संबोधित करते हुए आगे कहा कि लोग कहते हे कि मै समय काट रहा हॅू बल्कि सच तो यह है कि समय हमारी जिंदगी को काट रहा है। समय सोते जागते अपना काम करता रहता है हर पल हमारी मुठ्ठी से रेत की तरह खिसकता जा रहा है, इसलिए समय की कीमत समझो, नादान होते है वे लोग जो समय की कीमत नही समझते।
मुनिश्री ने जीवन के तीन आयाम बचपन, जवानी और बुढापे की तुलना घडी के कांटो से करते हुए कहा कि आपने कभी ख्याल किया घडी मे तीन कांटे हाते है सेकेण्ड, मिनिट और घंटे का। सेकेण्ड का कांटा पतला होता है वह बहत तेज भागता, मिनिट का कांटा चलता है भागता नही है और तीसरा कांटा घंटे का होता है जो ना तो भागता है और ना चलते हुए दिखता है। हमारा बचपन भी सेकण्ड के कांटे की तरह होता है जो जल्दी बीत जाता है, बचपन कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता है, जवानी मिनिट के कांटे की तरह होती है और बुढापा घंटे की कांटे की तरह होता है जो बहुत धीमा घिसकता है। बस घडी की तरह हमारी जिंदगी होती है। बचपन जवानी कब चली जाताी है पता नही चलता है लेकिन बुढापा घिसट घिसट कर अपनी यात्रा पूरी करती है।
मुनिश्री ने जीवन जीवन को परीक्षा पेपर बताते हुए कहा कि आप जब कभी परीक्षा देने जाते तो वह पेपर तीन घंटे का होता है। पहला घंटा जब होता है तो घंटी बजती है वह हमे याद दिलाता है कि दो घंटे बचे है लिखने की स्पीट बढा दो। दो घंटे बीत जाने के बाद सिर्फ एक घंटे बाकी है रिविजन कर लो। और तीसरा घंटा बजने के बाद कुछ भी शेष नही बचता है, हमारी जिंदगी के परीक्षा मे भी तीन घंटे होते है बचपन जवानी और बुढापा जब हमारी तीसरे पन का घंटा बजता है तो यमराज रूपी परीक्षक आता है और जिंदगी का पेपर छीनकर ले जाता है।
मुनिश्री ने कहा कि बचपन अपने साथ जवानी को लाता है, जवानी बुढ़ापे को साथ लाती है लेकिन ध्यान रखना बुढापे के बाद कुछ नहीं आता है केवल मौत ही आती है। इस दुनिया मे जिसने भी जन्म लिया है उसको एक दिन इस दुनिया से जाना पडेगा चाहे वह राजा हो या रंक। सभी को एक दिन इस दुनिया से जाना है। लेकिन आपने इस बात पर कभी गौर किया की किसी किसी के जीवन मे जन्म से लेकर मृत्यु तक के बीच मे ऐसा क्या घट जाता है कि उस व्यक्ति को सारी दुनिया जानती है।
मुनिश्री ने जीवन मे सफलता के सूत्र के रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि जितना भी समय मिला है उसमे कुछ ऐसा कार्य करो ताकि दुनिया तुम्हें याद रखे। मुनिश्री ने उदाहरण के द्वारा समझाया कि आज से 2600 साल पहले हुए भगवान महावीर की मॉ त्रिशला को सभी जानते है, लेकिन आप लोग तो उनसे कभी नही मिले फिर उन्हें पूरा जानता हो जब की पडोस मे रहने वाले को नही जानते। दोनो मे अंतर इतना है कि उन्होने जीवन मे ऐसा कार्य किया है जिनसे सारी दुनिया जानती है। तुम भी अपने जीवन मे ऐसे कार्य करके जाओ कि दुनिया भी हजारो वर्षो तक याद रखे।
मुनिश्री ने महापुरूषो के सुकृत्यों के माध्यम से श्रद्धालुओं को उपदेश देते हुए कहा कि डॉ भीमराव अम्बेडकर ने भारत का सविधान, आचार्य कुंदकुंद, गौतम गणधर को उनकी लेखनी के कारण दुनिया उन्हें याद किया करती है। भगवान महावीर, भगवान राम ने कुछ नहीं लिखा लेकिन उन्होंने ऐसे कृत्य किये है जिससे उनके चरित्र को समेटने के लिए हजारो पृष्ठ के ग्रंथ भी कम पडते है। दुनिया मे अपना नाम अमर करने का एक ही सूत्र है कि कुछ लिख जाओ या कुछ ऐसा करके जाओ कि दुनिया तुम पर कुछ लिखने लगे। दुनिया मे राम और रावण दोनो का याद किया जाता है लेकिन जब रावण को याद किया जाता है तो पुतले जलाएं जाते है और जब राम को याद किया जाता है तो मंदिर बनाएं जाते है।
मुनिश्री ने अधमरे लोगो को समाज के विकास का अवरोध मानते हुए कहा कि अधमरा आदमी दुनिया का सबसे खतरनाक होता है आदमी अधमरा न जिएं उन्हें मर जाना चाहिए मर जाएंगे तो नई समाज का निर्माण हो जाएगा। आज समाज का विकास इन्हीं अधमरे लोगो के कारण ही रूका हुआ है। यह अधमरा समाज पूरी तरह से जिंदा हो जाये या पूरी तरह से मर जाये। परिवार, समाज व राष्ट का विकास तभी हो पाएगा जब समाज इन अधमरे लोगो से मुक्त होगी। याद रखना पानी 100 डिग्री के तापमान पर ही भाप बनती है गुनगुना पानी कभी भाप नही बनता है।
विनय कुमार जैन
संघस्थ प्रवक्ता 9910938969
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