सोमवार, 25 जून 2012

aarkshan ka vikram betal


आखिर कब तक ये आरक्षण का वेताल विक्रमादित्य के कंधे पर लटका रहेगा- विनय कुमार जैन जब सभी क्षेत्रो मे गुणवत्ता चाहिए फिल्मो में सुंदर नायिका चाहिए, कुष्ती में तगड़ा पहलवान चाहिए, क्रिकेट में जबरदस्त बल्लेबाज चाहिए, जब षादी में कमनीय पत्नी चाहिए तो एक डॉक्टर जो लोगो की जान बचाएगा और स्वास्थ्य रखा करेगा, बडे़ बडे़ षोध अनुसन्धान करेगा और देष का नाम उॅचा करेगा और मानवता को बहुत कुछ प्रदान भी करेगा, के लिए सबसे उच्च गुणवत्ता नहीं होना चाहिए? क्या ऐसे स्थानो पर आरक्षण को पूरी तरह हटा लिया नहीं जाना चाहिए और वहां पर आरक्षण के नाम पर राजनीति करने वालो पर कानूनी कार्यवाही नहीं करनी चाहिए? एक मौका मिलते ही चिकित्सको और स्वयं स्थापित समर्थ षिक्षिको को अपमानित करने का मौका न चूकने वाले मीडिया से मै ये पूछना चाहूॅगा कि ये गन्दी राजनीति षैक्षणिक केन्द्रों से दूर होगी या नहीं? पर जिस तरह से देष का हर कोना सड़ चुका है और लुहेड़ाबाजी करने वालो को कुछ भी मनमानी करने की छूट मिल गयी है अपने अलग ही पैमाने बनाने वाला मीडिया भ्रश्ट विचार फैलाने में पूरा योगदान कर रहा है उससे यही लगता है की हारे कुंठितो को अपनी भड़ास निकालने का मौका आगे भी मिलता रहेगा। आखिर देष के प्रबुद्ध, विचारषील और षिक्षितो को राज्य नीति एवं सामाजिक मार्गदर्षन के लिए वरीयता कब दी जाएगी? आखिर कब तक भ्रश्ट, गंवार, अपराधी और निकृश्ट राजनीतिज्ञ और उनके चेले चपाटे देष को पथभ्रश्ट करते रहेगे? आखिर कब तक ये आरक्षण का वेताल विक्रमादित्य के कंधे पर लटका रहेगा और समूचे देष को ष्मषान बनाये रहेगा? आखिर कब देष के अन्य प्रबुद्धो की ऑख खुलेगी। आखिर कब तक गुण और योग्यता का अपमान देष सहता रहेगा? आखिर कब तक एक अन्याय के नाम पर दूसरा बड़ा अन्याय किया जाता रहेगा? आखिर कब तक किसी परदादे के दोश की सजा उसके संतानो को दी जाती रहेगी? आखिर कब तक नेता और सरकारे अपनी अक्षमता को आरक्षण देकर जनता को मूर्ख बनाते रहेंगे? आखिर हम किस तरह की बराबरी चाहते है? या नेताओ के दुराग्रह से बराबरी आ जाएगी? आखिर कब बंद होगा ये षासकीय अत्याचार? विनय कुमार जैन ..............................................................................................................................................................................

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