रविवार, 12 अगस्त 2012

kya hai vastu

वास्तु पुरुष मंडल: वास्तु ‘पुरुष मंडल’ वास्तु शास्त्र का अटूट हिस्सा है। इसमें मकान की बनावट की उत्पत्ति गणित और चित्रों के आधार पर की जाती है। जहां ‘पुरुष’ ऊर्जा, आत्मा और ब्रह्मांडीय व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं ‘मंडल’ किसी भी योजना के लिए जातिगत नाम है। वास्तु ‘पुरुष मंडल’ वास्तु शास्त्र में प्रयोग किया जाने वाला विशेष मंडल है। यह किसी भी भवन/मन्दिर/भूमि की आध्यात्मिक योजना है जोकि आकाशीय संरचना और अलौकिक बल को संचालित करती है।

दिशा और देवता: हर दिशा एक विशेष देव द्वारा संचालित होती है। यह देव हैं: -उत्तरी पूर्व- यह दिशा भगवान शिव द्वारा संचालित की जाती है। -पूर्व- इस दिशा में सूर्य भगवान का वास होता है। -दक्षिण पूर्व- इस दिशा में अग्नि का वास होता है। -दक्षिण- इस दिशा में यम का वास होता है। -दक्षिण पश्चिम- इस दिशा में पूर्वजों का वास होता है। -पश्चिम- वायु देवता का वास होता है। -उत्तर- धन के देवता का वास होता है। -केन्द्र- ब्रह्मांड के उत्पन्नकर्ता का वास होता है।
वास्तु और योग: वास्तुशास्त्र योग के सिद्धांत से काफी मिलता-जुलता है। जिस प्रकार किसी योगी के शरीर से प्राण (ऊर्जा) मुक्त रूप से प्रवाहित होता है। उसी प्रकार वास्तु गृह भी इस तरह से बनाया जाता है कि उसमें ऊर्जा का मुक्त प्रवाह हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार एक आदर्श ढांचा वह होता है जहां ऊर्जा के प्रवाह में गतिशील साम्य हो। यदि यह साम्य नहीं बैठता है तो जीवन में भी उचित तालमेल नहीं बैठ पाता है। -वास्तु शास्त्र का दृढ़ता से मानना है कि प्रत्येक भवन चाहे वह घर हो, गोदाम हो, फैक्टरी हो या फिर कार्यालय हो, वहां अविवेकपूर्ण विस्तार तथा फेरबदल आदि नहीं होने चाहिए।
मुख्य द्वार: भवन में ‘प्राण’ (जीवन-ऊर्जा) के प्रवेश के लिए द्वार की स्थिति और उसके खुलने की दिशा वास्तु की विशेष गणना द्वारा चुनी जाती है। इसके सही चयन से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाया जा सकता है। घर का अगला व पिछला द्वार एक ही सीध में होना चाहिए, जिससे ऊर्जा का प्रवाह बिना किसी रुकावट के चलता रहे। - ऊर्जा के इस मार्ग को ‘वम्स दंडम’ कहा जाता है जिसका मानवीकरण करने पर उसे रीढ़ की संज्ञा दी जाती है। इसका ताथ्यिक लाभ घर में शुद्ध हवा का आवागमन है, जबकि आत्मिक महत्व के तहत सौर्य ऊर्जा का मुख्य द्वार से प्रवेश और पिछले द्वार से निर्गम होने से, घर में ऊर्जा का प्रवाह बिना रुकावट निरंतर बना रहता है।
घर और वास्तु शास्त्र: घर केवल रहने की जगह मात्र नहीं होता है। यह हमारे मानसिक पटल का विस्तार और हमारे व्यक्तित्व का दर्पण भी होता है। - जिस प्रकार हम अपनी पसन्द के अनुसार इसकी बनावट व आकार देते हैं, सजाते और इसकी देखभाल करते हैं, उसी प्रकार यह हमारे स्वभाव, विचार, जैव ऊर्जा, निजी और सामाजिक जीवन, पहचान, व्यावसायिक सफलता और वास्तव में हमारे जीवन के हर पहलू से गहराई से जुड़ा हुआ होता है।
ऑफिस और वास्तु शास्त्र: जब वास्तु को सही तरह से लागू किया जाता है तो वह व्यापारिक वृद्धि में भी खासा मददगार सिद्ध होता है। भवन विस्तार या जगह का उपयोग करते समय वास्तु को ध्यान में रखना चाहिए, जिससे भवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को काफी हद तक कम किया जा सके।
con. vinay kumar jain mo. 9910938969

शनिवार, 11 अगस्त 2012

धन के लिए लक्ष्मीजी की कृपा कैसे पाएं

धन के लिए लक्ष्मीजी की कृपा कैसे पाएं गुरु-पुष्य नक्षत्र में करें धन प्राप्ति के जतन Share on facebookShare on twitterMore Sharing Services ND
गुरु-पुष्य नक्षत्र के दिन अपने घर के पूजा स्थान में श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी के श्रीविग्रह के सामने चौमुखा घी का दीपक जलाकर पंचोपचार पूजन करने के उपरांत 108 पाठ करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं। गुरु-पुष्य के शुभ संयोग वाले दिन अपने पूजा स्थान में पूर्व दिशा में मुंह करके बैठ जाएं। स्वच्छ पात्र में 7 लौंग फूल सहित, 7 कपूर की डली रख दें। मां गायत्री का ध्यान करते हुए कपूर और लौंग को जला लें। साथ ही गायत्री मंत्र का जाप करते रहें। फिर तिलक लगा लें। सफलता जरूर मिलेगी। व्यापार चल निकलेगा : ND
अगर आपको कारोबार में नुकसान हो रहा हो तो रवि-पुष्प योग के दिन श्रद्धापूर्वक अमलतास के वृक्ष का पूजन करें। घी का दीपक जलाएं और संकल्प करें कि कल मैं इस वृक्ष की जड़ ले आऊंगा। जड़ लाकर उसे सोने के ताबीज में गढ़वा लें। आपकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा और आपका व्यापार चल निकलेगा।

सही वास्तु दिलाएगा धन-समृद्धि...

सही वास्तु दिलाएगा धन-समृद्धि...
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रखें वास्तु का ख्याल यूं तो किसी को किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता लेकिन कई बार अनेक बाधाओं के कारण किस्मत में लिखी धन-समृद्धि भी प्राप्त नहीं होती। वास्तु को मानने वाले अगर इसके मुताबिक काम करें तो उन्हें वो मिल सकता है जो अब तक नहीं मिला है। - पूर्व दिशा : यहां घर की संपत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है और उसमें बढ़ोतरी होती रहती है। - पश्चिम दिशा : यहां धन-संपत्ति और आभूषण रखे जाएं तो साधारण ही शुभता का लाभ मिलता है। परंतु घर का मुखिया अपने स्त्री-पुरुष मित्रों का सहयोग होने के बाद भी बड़ी कठिनाई के साथ धन कमा पाता है। - उत्तर दिशा : घर की इस दिशा में कैश व आभूषण जिस अलमारी में रखते हैं, वह अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण की दीवार से लगाकर रखना चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी। - दक्षिण दिशा : इस दिशा में धन, सोना, चाँदी और आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु बढ़ोत्तरी भी विशेष नहीं होती है। - ईशान कोण : यहां पैसा, धन और आभूषण रखे जाएं तो यह दर्शाता है कि घर का मुखिया बुद्धिमान है और यदि यह उत्तर ईशान में रखे हों तो घर की एक कन्या संतान और यदि पूर्व ईशान में रखे हों तो एक पुत्र संतान बहुत बुद्धिमान और प्रसिद्ध होता है। - आग्नेय कोण : यहां धन रखने से धन घटता है, क्योंकि घर के मुखिया की आमदनी घर के खर्चे से कम होने के कारण कर्ज की स्थिति बनी रहती है।
- नैऋत्य कोण : यहां धन, महंगा सामान और आभूषण रखे जाएं तो वह टिकते जरूर है, किंतु एक बात अवश्य रहती है कि यह धन और सामान गलत ढंग से कमाया हुआ होता है। - वायव्य कोण : यहां धन रखा हो तो खर्च जितनी आमदनी जुटा पाना मुश्किल होता है। ऐसे व्यक्ति का बजट हमेशा गड़बड़ाया रहता है और कर्जदारों से सताया जाता है। - सीढ़ियों के नीचे तिजोरी रखना शुभ नहीं होता है। सीढ़ियों या टायलेट के सामने भी तिजोरी नहीं रखना चाहिए। तिजोरी वाले कमरे में कबाड़ या मकड़ी के जाले होने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। - घर की तिजोरी के पल्ले पर बैठी हुई लक्ष्मीजी की तस्वीर जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं, लगाना बड़ा शुभ होता है। तिजोरी वाले कमरे का रंग क्रीम या ऑफ व्हाइट रखना चाहिए।

वास्तु और ईशान दिशा

वास्तु और ईशान दिशा कैसे पाएं ईशान दिशा के शुभ परिणाम
किसी भी भवन की ईशान दिशा सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। इसमें वास्तु अनुरूप भवन का निर्माण हमारी प्रगति में चार चांद लगा देता है। आइए जानते हैं किस प्रकार से भवन निर्माण कराने से आप शुभ परिणाम प्राप्त करेंगे :- * ईशान दिशा अन्य दिशाओं की तुलना में बड़ी हो तो गृह के निवासी धन-संपत्ति से युक्त रहेंगे। उनके ऐश्वर्य में वृद्धि होगी तथा उनकी संतानें मेधावी होंगी। * ईशान दिशा में जल का स्थल हो तो गृह के रहवासी निरंतर प्रगति करेंगे। * ईशान दिशा नीचे हो तो गृह स्वामी अष्टविध संपत्ति के अधिकारी होंगे। * ईशान ब्लाक में पूर्व की तरफ ढलान पुरुषों के लिए तथा उत्तर की तरफ वाला ढलान स्त्रियों के सर्वांगीण विकास के लिए श्रेष्ठतम होता है।
* ईशान दिशा में पूर्व तथा उत्तर वाली दीवारें पश्चिम तथा दक्षिण दिशा वाली दीवारों की तुलना में नीची होने से चिरकाल तक आरोग्य, सुख-संपत्ति तथा धन लाभ होता है। * गृह का समस्त जल इस दिशा से बाहर निकलना चाहिए। वर्षा का जल भी इस दिशा से बाहर निकले तो गृह स्वामी के सुख में वृद्धि होती है।

हत्ता जोडी

अद्भुत एवं चमत्कारी वनस्पति ‘‘हत्ता जोडी’’ हत्ता जोडी एक वनस्पति है एक विशेष जाति के पौधे की जड़ खोदने पर उसमे मानव भुजा जैसी दो शाखाये दिखाई पड़ती है इसके सिरे पर पंजा जैसा बना होता है, उंगलियों के रूप में उस पंजे की आकृति ठीक इस तरह होती है जैसे कोई मुट्ठी बंाधे हो, जड़ निकलकर उसकी दोनों शाखाओं को मोडकर परस्पर मिला देने से यह हाथो के जैसी दिखने लगती हे यही हत्ता जोड़ी है। इसकी पौधे प्रायः मध्यप्रदेश में होते हैं।
हत्ता जोडी बहुत ही शक्तिषाली व प्रभावकारी वस्तु है यह एक जंगली पौधे की जड़ होती है। इसका चमत्कार मुकदमा, शुत्रु संघर्ष, दरिद्रता को दूर करने व दुर्लभ व्याधियों आदि के निवारण में इसकी जैसी चमत्कारी वस्तु आज तक देखने में नही आई इसमे वशीकरण को भी अद्भुत शक्ति है। इसको पास मे रखने से भूत, प्रेत आदि का भय नहीं रहता है यदि इसे तांत्रिक विधि से सिद्ध कर दिया जाए तो साधक निश्चित पद्यमावति का कृपा पात्र हो जाता है। यह जिसके पास होती है उसे हर कार्य मे सफलता मिलती है धन संपत्ति देने वाली यह बहुत चमत्कारी साबित हुई है। तंत्र मे इसका महत्वपूर्ण स्थान है। हत्ता जोड़ी में अद्भुत प्रभाव निहित रहता है, यह साक्षात पद्यमावति का प्रतिरूप है यह जिसके पास भी होगा वह अद्भुत रूप से प्रभावकारी होगा, सम्मोहन, वशीकरण, अनुकूलन, सुरक्षा मे अत्यंत गुणकारी होता है, इससे प्रयोग से भी शीघ्र ही धन लाभ होने लगता है। मंत्र से पूजने के बाद इलायची तथा तुलसी के पत्तों के साथ एक चंादी की डिब्बी मे रख दें। इससे धन लाभ होता है। हत्था जोडी जो की एक महातंत्र में उपयोग में लायी जाती है और इसके प्रभाव से शुत्रु दमन तथा मुकदमों में विजय हासिल होती है।
मेहनत और लगन से काम करके धनोपार्जन करते है फिर भी आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड रहा है तो आपको अपनी आर्थिक स्थिती सुधारने के लिए उपाय करना चाहिए। इसके लिए किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हत्ता जोडी घर लाएं। इसे लाल रंग के कपडे में बांधकर घर मे किसी सुरक्षित स्थान मे अथवा तिजोरी मे रख दें। इससे आय में वृद्धि होगी एवं धन का व्यय कम होगा। तिजोरी में सिन्दुर युक्त जोडी रखने से आर्थिक लाभ में वृद्धि होने लगती है। संपर्क करे विनय जैन 9910938969