गुरुवार, 26 जुलाई 2012

ज्ञान गंगा महोत्सव बारहवां दिन जिन्हें खुद भगवान नहीं मिले वे दूसरो को भगवान सौपने लगे है- मुनि पुलकसागर दिल्ली 26 जुलाई 2012 किसी ष्मसान के पास एक सूत्र लिखा था कि मंजिल तो यही थी पर देर हो गई आते आते। सौ साल के जीवन मे इंसान कितनी भागदौड करता है, सुबह से षाम तक भागता रहता है लेकिन जीवनपर्यंत यह भागदौड़ समाप्त नहीं होती है। दुनिया मे आए हो तो मरना जरूर पडेगा । उक्त प्रेरणादायी विचार मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज ने गुरूवार को कड़कड़डूमा कोर्ट के सामने निर्मित जिनषरणं सभागार मे आयोजित ज्ञान गंगा महोत्सव के बारहवे दिवस पर अथाह जनसमुदाय को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सामान सौ बरस का पल की खबर नहीं। मनुश्य ने कितने सामान पैदा कर लिए अपने लिए इस छोटे से जीवन में। इस जीवन मे कितनी दुआएं बददुआएं लेकर जीते हो। मुनिश्री ने जीवन की परिभाशा देते हुए कहा कि सांसो का नाम ही जीवन हुआ करता है। ध्यान रखना जब तुम पैदा हुए थे तो तुम्हारी सबसे पहले ष्वास देखी गई थी और मरते वक्त भी ष्वास देखी जाती है। केवल ष्वास चलने का नाम जीवन होता है। चंद सांसे मिली है हमे इस जीवन में इनहें आनंद में जीओ ना कि मातम मे परिवर्तित करके। ष्वास की कीमत समझो। ध्यान रखना तुम्हारे पास सब कुछ रहे लेकिन ष्वास चली जाए तो सब पडा का पड रह जाएगा। घर, परिवार, जमीन जायजाद, आंखो के मूंदते सब रिष्ते छूट जाया करते है। मुनिश्री ने जीवन की परिवर्तनषीलता को परिलक्षित करते हुए कहा कि जीवन की प्रकृति परिवर्तनषील है जो आज है वह कल नहीं रहेगा। और जो आज है वो कल नही रहेगा। इसे प्रकृति की व्यवस्था या भाग्य का उठा पटक कह सकते है। एक समय कृश्णचंद भाग गये आधी रात एक समय कंस को पछाड दिया रण में एक समय अर्जुन ने जीत लिया महाभारत एक समय कौल भील लूट लिये वन मे आदमी बिचारे की बात यहां कौन करे सूरज की तीन गति होत एक दिन मे। मुनिश्री ने कहा कि ऐसा कोई नहीं होगा जिसके जीवन मे उतार चढाव ना हो। जीवन मे कभी उचंाई कभी ढलान पर आ जाती है। जिंदगी में कभी कुछ हासिल हो जाये तो गुमान मत करना और अगर कुछ खो जाये तो कभी गम मत करना। मुनिश्री ने कहा कि आपने अभी देखा कि राश्टपति प्रतिभा पाटलि देष की राश्टपति थी अब प्रणव दादा आ गये उनसे राश्टपति ंभवन खाली करवा लिया। वे अब भूतपूर्व राश्टपति हो गई। याद रखना जीवन सतत परिवर्तनषील है यहां सुख और दुख दोनो का आना जाना लगा रहता है। मुनिश्री ने कहा कि हमे कभी किसी को कम नहीं समझना चाहिए। वर्शो से सडको पर पडा पत्थर जब उसकी किस्मत बदलती है तो वह मंदिर का भगवान भी बन जाया करता है। इस जीवन मे भले और बुरे दोनो प्रकार के दिन आते है। कभी दुख की धूप रहती है तो कभी सुख की छांव हम पर छाया करती है। यह सब विधी का विधान परमात्मा के द्वारा रचा जाता है। मुनिश्री ने कहा कि जब जीवन मे उन्नति मिले तो ज्यादा खुष मत होना और असफलता मिले तो गम मत करना इसी का नाम प्रसन्नता हुआ करता है। एक सफलता के पीछे हजार असफलताएं होती है। महान आदमी उंचाईयों पर आसानी से नहीं पहुंच पाते है अपितु हजारो बार गिरते है, ठोकरे खाते है संभाल जाते है और आगे बढ़ जाते है। मुनिश्री ने कहा कि गिरना ही है तो गेंद की तरह गिरना सीखो जो गिरते ही फिर उछल जाती है मिट्टी के गीले लोदे की तरह मत गिरो जो जमीन का पकड कर ही रह जाता है। मुनिश्री ने कहा कि कितना नादान है यह आदमी जो जीवन का सुख किताबो मे खोजता है। आदमी को किताबो से ंिजंदगी नहीं मिला करती है अपितु आदमी से ही किताबों का जन्म हुआ करता है। आज पोथी पत्रा पढ़ पढकर लोग भगवान पर व्याख्याएं कर रहे है, हकिकत मे जितने लोग जो बोल रहे है जो खुद भटके हुए लोग है। वो क्या किसी को भगवान सौपेगे जिन्हें खुद भगवान नहीं मिले। एकं भिखारी दूसरे भिखारी को क्या दे सकता है। इसलिए मैने भगवान की चर्चा बंद कर दी है क्यांेकि मुझे खुद भगवान नही मिले है। लेकिन मै इतना दावे के साथ कह सकता हॅू कि मै तुम्हें भगवान बना पाउ या ना पाउं लेकिन तुम सच्चे इंसान जरूर बन सकते हो मेरा विष्वास है जो सच्चा इंसान बन जाता है वह एक दिन भगवान बन जाता है। पुलक वचन आज का युवा कथा पुराणो से नहीं उसे जीते जागते महावीर चाहिए। मरने के बाद नही जीते जी आनंद को ग्रहण करो कल के चक्कर मे आज को दुखी मत करो। जिनको खुद को भगवान नही मिला दूसरो को भगवान सौप रहे है। घबराओ मत यह समय भी कट जायेगा यह सुखी जीवन जीने का राज है। मौत से पहले कभी ना मरना। मौत एक ही बार आती है कब आएगी यह भी निष्चित है मरना। तो वक्त से पहले मरने की मत सोचना। बाहर की परिस्थितियॉ अगर अंतस को प्रभावित कर दे तो जीवन अच्छा नहीं जिया। प्रसन्न रहने के लिए उदास मत रहना। जब उदास हो तो एकांत मे मत जाओ जितने एंकात मे जाओगे उतनी चिंताएं तुम्हें घेरेगी। जो हंसता पुरूश जो हंसाता है वह महापुरूश होता है किसी रोते को हंसा देने कापुण्य मंदिर जाने से बराबर होता है। किसी को भीख देकर उसे भीखारी मत बनाओ बल्कि उसे पैरो पर खडा कर दो। वात्सल्य धारा वह परिवार है जिसमे निराश्रितो, षोशितो, को षिक्षा, सुस्वास्थ एवं आषियाना मिलेगा। विनय कुमार जैन 9910938969

वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय


वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय NDND अगर भवन में रहते हुए आपका कार्य सिद्ध नहीं हो रहा हो तथा इसमें कई तरह की बाधाएँ आ रही हैं, ऐसी स्थिति में वास्तुदोष शांति के लिए पांचजन्य शंख को भवन के मध्य हिस्से में अथवा भवन के पार्क आदि भाग में वास्तु पुरुष की तरह उल्टा गाढ़ दें, एक हफ्ते में ही लाभ मिलने लगेगा। अगर आपके घर-परिवार में मत भिन्नता है, गृहक्लेश रहता है, पति-पत्नी में सामंजस्य नहीं है, पिता का पुत्रों पर नियंत्रण नहीं है, व्यापार घाटे में जा रहा है, इस कारण से भी आप तनाव में रहते हैं तो इन सारी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए घर में लाफिंग बुद्धा की प्रतिमा की स्थापना करें, आपका मनोरथ सिद्ध होगा।

वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय


वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय NDND अगर भवन में रहते हुए आपका कार्य सिद्ध नहीं हो रहा हो तथा इसमें कई तरह की बाधाएँ आ रही हैं, ऐसी स्थिति में वास्तुदोष शांति के लिए पांचजन्य शंख को भवन के मध्य हिस्से में अथवा भवन के पार्क आदि भाग में वास्तु पुरुष की तरह उल्टा गाढ़ दें, एक हफ्ते में ही लाभ मिलने लगेगा। अगर आपके घर-परिवार में मत भिन्नता है, गृहक्लेश रहता है, पति-पत्नी में सामंजस्य नहीं है, पिता का पुत्रों पर नियंत्रण नहीं है, व्यापार घाटे में जा रहा है, इस कारण से भी आप तनाव में रहते हैं तो इन सारी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए घर में लाफिंग बुद्धा की प्रतिमा की स्थापना करें, आपका मनोरथ सिद्ध होगा।

वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय


वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय NDND अगर भवन में रहते हुए आपका कार्य सिद्ध नहीं हो रहा हो तथा इसमें कई तरह की बाधाएँ आ रही हैं, ऐसी स्थिति में वास्तुदोष शांति के लिए पांचजन्य शंख को भवन के मध्य हिस्से में अथवा भवन के पार्क आदि भाग में वास्तु पुरुष की तरह उल्टा गाढ़ दें, एक हफ्ते में ही लाभ मिलने लगेगा। अगर आपके घर-परिवार में मत भिन्नता है, गृहक्लेश रहता है, पति-पत्नी में सामंजस्य नहीं है, पिता का पुत्रों पर नियंत्रण नहीं है, व्यापार घाटे में जा रहा है, इस कारण से भी आप तनाव में रहते हैं तो इन सारी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए घर में लाफिंग बुद्धा की प्रतिमा की स्थापना करें, आपका मनोरथ सिद्ध होगा।

वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय


वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय NDND अगर भवन में रहते हुए आपका कार्य सिद्ध नहीं हो रहा हो तथा इसमें कई तरह की बाधाएँ आ रही हैं, ऐसी स्थिति में वास्तुदोष शांति के लिए पांचजन्य शंख को भवन के मध्य हिस्से में अथवा भवन के पार्क आदि भाग में वास्तु पुरुष की तरह उल्टा गाढ़ दें, एक हफ्ते में ही लाभ मिलने लगेगा। अगर आपके घर-परिवार में मत भिन्नता है, गृहक्लेश रहता है, पति-पत्नी में सामंजस्य नहीं है, पिता का पुत्रों पर नियंत्रण नहीं है, व्यापार घाटे में जा रहा है, इस कारण से भी आप तनाव में रहते हैं तो इन सारी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए घर में लाफिंग बुद्धा की प्रतिमा की स्थापना करें, आपका मनोरथ सिद्ध होगा।

वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय


वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय NDND अगर भवन में रहते हुए आपका कार्य सिद्ध नहीं हो रहा हो तथा इसमें कई तरह की बाधाएँ आ रही हैं, ऐसी स्थिति में वास्तुदोष शांति के लिए पांचजन्य शंख को भवन के मध्य हिस्से में अथवा भवन के पार्क आदि भाग में वास्तु पुरुष की तरह उल्टा गाढ़ दें, एक हफ्ते में ही लाभ मिलने लगेगा। अगर आपके घर-परिवार में मत भिन्नता है, गृहक्लेश रहता है, पति-पत्नी में सामंजस्य नहीं है, पिता का पुत्रों पर नियंत्रण नहीं है, व्यापार घाटे में जा रहा है, इस कारण से भी आप तनाव में रहते हैं तो इन सारी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए घर में लाफिंग बुद्धा की प्रतिमा की स्थापना करें, आपका मनोरथ सिद्ध होगा।

वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय


वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय NDND अगर भवन में रहते हुए आपका कार्य सिद्ध नहीं हो रहा हो तथा इसमें कई तरह की बाधाएँ आ रही हैं, ऐसी स्थिति में वास्तुदोष शांति के लिए पांचजन्य शंख को भवन के मध्य हिस्से में अथवा भवन के पार्क आदि भाग में वास्तु पुरुष की तरह उल्टा गाढ़ दें, एक हफ्ते में ही लाभ मिलने लगेगा। अगर आपके घर-परिवार में मत भिन्नता है, गृहक्लेश रहता है, पति-पत्नी में सामंजस्य नहीं है, पिता का पुत्रों पर नियंत्रण नहीं है, व्यापार घाटे में जा रहा है, इस कारण से भी आप तनाव में रहते हैं तो इन सारी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए घर में लाफिंग बुद्धा की प्रतिमा की स्थापना करें, आपका मनोरथ सिद्ध होगा।

वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय


वास्तुदोष का निवारण करने के उपाय NDND अगर भवन में रहते हुए आपका कार्य सिद्ध नहीं हो रहा हो तथा इसमें कई तरह की बाधाएँ आ रही हैं, ऐसी स्थिति में वास्तुदोष शांति के लिए पांचजन्य शंख को भवन के मध्य हिस्से में अथवा भवन के पार्क आदि भाग में वास्तु पुरुष की तरह उल्टा गाढ़ दें, एक हफ्ते में ही लाभ मिलने लगेगा। अगर आपके घर-परिवार में मत भिन्नता है, गृहक्लेश रहता है, पति-पत्नी में सामंजस्य नहीं है, पिता का पुत्रों पर नियंत्रण नहीं है, व्यापार घाटे में जा रहा है, इस कारण से भी आप तनाव में रहते हैं तो इन सारी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए घर में लाफिंग बुद्धा की प्रतिमा की स्थापना करें, आपका मनोरथ सिद्ध होगा।

वास्तु दोष निवारण के सफल/सामान्य उपाय/टोटके/तरीके


वास्तु दोष निवारण के सफल/सामान्य उपाय/टोटके/तरीके— —–वास्तु पूजन के पश्चात् भी कभी-कभी मिट्टी में किन्हीं कारणों से कुछ दोष रह जाते हैं जिनका निवारण कराना आवश्यक है। —–रसोई घर गलत स्थान पर हो तो अग्निकोण में एक बल्ब लगा दें और सुबह-शाम अनिवार्य रूप से जलाये। —–द्वार दोष और वेध दोष दूर करने के लिए शंख, सीप, समुद्र झाग, कौड़ी लाल कपड़े में या मोली में बांधकर दरवाजे पर लटकायें। —–बीम के दोष को शांत करने के लिए बीम को सीलिंग टायल्स से ढंक दें। —–बीम के दोनों ओर बांस की बांसुरी लगायें। —–घर के दरवाजे पर घोड़े की नाल (लोहे की) लगायें। यह अपने आप गिरी होनी चाहिए —–घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए मुख्य द्वार पर एक ओर केले का वृक्ष दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में लगायें। —–दुकान की शुभता बढ़ाने के लिए प्रवेश द्वार के दोनों ओर गणपति की मूर्ति या स्टिकर लगायें। एक गणपति की दृष्टि दुकान पर पड़ेगी, दूसरे गणपति की बाहर की ओर। —–यदि दुकान में चोरी होती हो या अग्नि लगती हो तो भौम यंत्र की स्थापना करें। यह यंत्र पूर्वोत्तर कोण या पूर्व दिशा में, फर्श से नीचे दो फीट गहरा गङ्ढा खोदकर स्थापित किया जाता है। —–यदि प्लाट खरीदे हुये बहुत समय हो गया हो और मकान बनने का योग न आ रहा हो तो उस प्लाट में अनार का पौधा पुष्य नक्षत्र में लगायें। —–अगर आपका घर चारों ओर बड़े मकानों से घिरा हो तो उनके बीच बांस का लम्बा फ्लेग लगायें या कोई बहुत ऊंचा बढ़ने वाला पेड़ लगायें। —–फैक्ट्री-कारखाने के उद्धाटन के समय चांदी का सर्प पूर्व दिशा में जमीन में स्थापित करें। —–अपने घर के उत्तरकोण में तुलसी का पौधा लगाएं —-हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिडकाव करें। इससे घर में लक्ष्मी का वास तथा शांति भी बनी रहती है —-अपने घर के मन्दिर में घी का एक दीपक नियमित जलाएं तथा शंख की ध्वनि तीन बार सुबह और शाम के समय करने से नकारात्मक ऊर्जा घर से बहार निकलती है. —-घर में सफाई हेतु रखी झाडू को रस्ते के पास नहीं रखें. —-यदि झाडू के बार-बार पैर का स्पर्थ होता है, तो यह धन-नाश का कारण होता है. झाडू के ऊपर कोई वजनदार वास्तु भी नहीं रखें.। ध्यान रखें की बाहर से आने वाले व्यक्ति की दृष्टि झारू पड़ न परे। —–अपने घर में दीवारों पर सुन्दर, हरियाली से युक्त और मन को प्रसन्न करने वाले चित्र लगाएं. इससे घर के मुखिया को होने वाली मानसिक परेशानियों से निजात मिलती है. —–वास्तुदोष के कारण यदि घर में किसी सदस्य को रात में नींद नहीं आती या स्वभाव चिडचिडा रहता हो, तो उसे दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके शयन कराएं.इससे उसके स्वभाव में बदलाव होगा और अनिद्रा की स्थिति में भी सुधार होगा. —-अपने घर के ईशान कोण को साफ़ सुथरा और खुला रखें. इससे घर में शुभत्व की वृद्धि होती है. —-अपने घर के मन्दिर में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए पुष्प-हार दूसरे दिन हटा देने चाहिए और भगवान को नए पुष्प-हार अर्पित करने चाहिए. —-घर के उत्तर-पूर्व में कभी भी कचरा इकट्ठा न होने दें और न ही इधर भारी मशीनरी रखें. —-अपने वंश की उन्नति के लिये घर के मुख्यद्वार पर अशोक के वृक्ष दोनों तरफ लगाएं. —-यदि आपके मकान में उत्तर दिशा में स्टोररूम है, तो उसे यहाँ से हटा दें. इस स्टोररूम को अपने घर के पश्चिम भाग या नैऋत्य कोण में स्थापित करें. —-घर में उत्पन्न वास्तुदोष घर के मुखिया को कष्टदायक होते हैं. इसके निवारण के लिये घर के मुखिया को सातमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए. —-यदि आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिणमुखी है, तो यह भी मुखिया के के लिये हानिकारक होता है. इसके लिये मुख्यद्वार पर श्वेतार्क गणपति की स्थापना करनी चाहिए. —–अपने घर के पूजा घर में देवताओं के चित्र भूलकर भी आमने-सामने नहीं रखने चाहिए इससे बड़ा दोष उत्पन्न होता है. अपने घर के ईशान कोण में स्थित पूजा-घर में अपने बहुमूल्य वस्तुएँ नहीं छिपानी चाहिए. —–पूजाकक्ष की दीवारों का रंग सफ़ेद हल्का पीला अथवा हल्का नीला होना चाहिए. —–यदि आपके रसोई घर में रेफ्रिजरेटर नैऋत्य कोण में रखा है, तो इसे वहां से हटाकर उत्तर या पश्चिम में रखें. —–दीपावली अथवा अन्य किसी शुभ मुहूर्त में अपने घर में पूजास्थल में वास्तुदोशनाशक कवच की स्थापना करें और नित्य इसकी पूजा करें. इस कवच को दोषयुक्त स्थान पर भी स्थापित करके आप वास्तुदोषों से सरलता से मुक्ति पा सकते हैं. ——अपने घर में ईशान कोण अथवा ब्रह्मस्थल में स्फटिक श्रीयंत्र की शुभ मुहूर्त में स्थापना करें. यह यन्त्र लक्ष्मीप्रदायक भी होता ही है, साथ ही साथ घर में स्थित वास्तुदोषों का भी निवारण करता है. ——प्रातःकाल के समय एक कंडे पर थोड़ी अग्नि जलाकर उस पर थोड़ी गुग्गल रखें और ‘ॐ नारायणाय नमन’ मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार घी की कुछ बूँदें डालें. अब गुग्गल से जो धूम्र उत्पन्न हो, उसे अपने घर के प्रत्येक कमरे में जाने दें. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म होगी और वातुदोशों का नाश होगा. —–प्रतीदिन शाम के समय घर मे कपूर जलाएं इससे घर मे मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।

वास्तु दोष निवारण के कुछ सरल उपाय


>वास्तु दोष निवारण के कुछ सरल उपाय— कभी-कभी दोषों का निवारण वास्तुशास्त्रीय ढंग से करना कठिन हो जाता है। ऐसे में दिनचर्या के कुछ सामान्य नियमों का पालन करते हुए निम्नोक्त सरल उपाय कर इनका निवारण किया जा सकता है। * पूजा घर पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रातः 06 से 08 बजे के बीच भूमि पर ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर ही करनी चाहिए। * पूजा घर के पास उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए। इससे घर में सपन्नता आती है। मकान के उत्तर पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए। * घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए, अन्यथा घर में बरकत और धनागम के स्रोतों में वृद्धि नहीं होगी। * पूजाघर में तीन गणेशों की पूजा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा घर में अशांति उत्पन्न हो सकती है। तीन माताओं तथा दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है। धूप, आरती, दीप, पूजा अग्नि आदि को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं। पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें। * घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए। ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं। दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरतें ताकि कर्कश आवाज नहीं हो। इससे घर में कलह होता है। इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं तथा कब्जों में समय समय पर तेल डालें। * खिड़कियां खोलकर रखें, ताकि घर में रोशनी आती रहे। * घर के मुख्य द्वार पर गणपति को चढ़ाए गए सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं। * महत्वपूर्ण कागजात हमेशा आलमारी में रखें। मुकदमे आदि से संबंधित कागजों को गल्ले, तिजोरी आदि में नहीं रखें, सारा धन मुदमेबाजी में खर्च हो जाएगा। * घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होगी। * सामान्य स्थिति में संध्या के समय नहीं सोना चाहिए। रात को सोने से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर करना चाहिए। * घर में पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व तथा पढ़ाने वाले का उत्तर की ओर होना चाहिए। * घर के मध्य भाग में जूठे बर्तन साफ करने का स्थान नहीं बनाना चाहिए। * उत्तर-पूर्वी कोने को वायु प्रवेश हेतु खुला रखें, इससे मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होगा। * अचल संपत्ति की सुरक्षा तथा परिवार की समृद्धि के लिए शौचालय, स्नानागार आदि दक्षिण-पश्चिम के कोने में बनाएं। * भोजन बनाते समय पहली रोटी अग्निदेव अर्पित करें या गाय खिलाएं, धनागम के स्रोत बढ़ेंगे। * पूजा-स्थान (ईशान कोण) में रोज सुबह श्री सूक्त, पुरुष सूक्त एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें, घर में शांति बनी रहेगी। * भवन के चारों ओर जल या गंगा जल छिड़कें। * घर के अहाते में कंटीले या जहरीले पेड़ जैसे बबूल, खेजड़ी आदि नहीं होने चाहिए, अन्यथा असुरक्षा का भय बना रहेगा। * कहीं जाने हेतु घर से रात्रि या दिन के ठीक १२ बजे न निकलें। * किसी महत्वपूर्ण काम हेतु दही खाकर या मछली का दर्शन कर घर से निकलें। * घर में या घर के बाहर नाली में पानी जमा नहीं रहने दें। * घर में मकड़ी का जाल नहीं लगने दें, अन्यथा धन की हानि होगी। * शयनकक्ष में कभी जूठे बर्तन नहीं रखें, अन्यथा परिवार में क्लेश और धन की हानि हो सकती है। * भोजन यथासंभव आग्नेय कोण में पूर्व की ओर मुंह करके बनाना तथा पूर्व की ओर ही मुंह करके करना चाहिए।

सोमवार, 16 जुलाई 2012

vastu

वास्तु दोश निवारण के उपाय
अपना मकान बनाते समय भूल या परिस्थितिवष कुछ वास्तुदोश रह जाते है। इन दोशों के निवारण के लिए यदि आप बताएं जा रहे उपाय कर लें, तो बिना तोड-फोड़ के ही वास्तुजनित दोशों से निजात पा सकते हैं। ऽ यदि आपके मकान के सामने किसी प्रकार का वेध यानी खंभा, बड़ा पेड़ या बहुमंजिला इमारत हो तो इसकी वजह से आपका स्वास्थ्य या आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। यदि वेघ दोश हो तो निम्न उपाय करना कारगर होगा। ऽ अपने मकान के सामने लैम्प पोस्ट लगा लें। यदि संभव नहीं हो, तो घर के आगे अषोक का वृक्ष और सुगधित फूलों के पेड़ के गमले लगा दें। तुलसी का पौधा स्वास्थ्य के लिए षुभ होता है। ऽ यदि कोई बहुमंजिली इमारत आपके सामने हो, तो फेंगषुई के अनुसार अश्ट कोणीय दर्पण, किस्टल बाल तथा दिषा सूचक यंत्र लगा सकते है। ऽ बड़ा गोल आईना मकान की छत पर ऐसे लगाए कि मकान की संपूर्ण छाया उसमें दिखाई देती रहे। ऽ यदि मकान के पास फैक्टरी का धुआं निकलता हो, तो एग्जास्ट पंखा या वृक्ष लगा लें। ऽ यदि मकान में बीम ऐसी जगह हो जिसके कारण आप मानसिक तनाव महसूस करते हो तो बीम से उत्पन्न होने वाले दोशो से बचाव के लिए यह उपाय अपना सकते है। ऽ षयनकक्ष मे बीम हो तो इसके नीचे अपना बैड या डाइनिंग टेबल नहीं लगाएं। यदि ऑफिस हो तो मेज व कुर्सियां नहीं रखे। ऽ बीम के दोनों ओर बांसुरी लगा दें। इससे वास्तुदोश निवारण हो जाता है। ऽ पवन घंटी बीम के नीचे लटका दें या बीम को सीलिंग टायलस से ढक दें। ऽ यदि मकान का कोई कोना आपके मुख्य द्वार के सामने आए, तो स्पॉट लाइट लगाएं। जिससे प्रकाष आपके घर की ओर रहे तथा सीधा उंचा वृक्ष लगा दें। ऽ षयनकक्ष में घी का दीपक व अगरबत्ती करें जिससे मन प्रसन्न रहे। इस बात का ध्यान रखें कि झाडू षयनकक्ष में नहीं रखें। ऽ यदि मकान में दिषा संबंधी कोई दोश हो तो इससे बचने के लिए ये उपाय करने से लाभ मिलना संभव है। ऽ मकान में मुख्य द्वार पर देहरी बना लें। इससे बुरे व अन्य दोश घर मे प्रवेष नहीं कर पाते। ऽ ईषान कोण के दोश के लिए इस दिषा में पानी से भरा मटका रखे। इस कोण को साफ सुधरा रखे। ऽ अग्नि कोण दोश निवारण के लिए कोने में एक लाल रंग का बल्ब लगा दें जो दिन रात जलता रहें ऽ वायव्य कोण दोश निवारण के लिए इस ओर की खिड़कियां खुली रखें, ताकि वायु आ सके। एजॉस्ट पंखा भी लगा सकते है। ऽ नैऋत्य कोण दोश निवारण के लिए इस कोने को भारी बनाएं। स्टोर बनाना यहां षुभ होता है। ऽ षयनकक्ष में दर्पण का प्रतिबिंब पलंग पर न पडे तथा डबल बेड पर एक ही गद्दा रखें, तो ठीक रहेगा। ऽ पति पत्नि में प्रेम के लिए प्रेमी परिंदे का चित्र या मेडरिन बतख का जोड़ा रखे अथवा सपरिवार प्रसन्नचित मुद्रा वाला चित्र लगाएं। ऽ डायनिंग टेबल को प्रतिबिंबित करने वाला आईना आपके सद्भाव व भाग्य मंे वृद्धि करता है, इसे लगाएं। वास्तुषास्त्री विनय कुमार जैन मो 9910938969